Thursday, October 1, 2009

आज एक रिपोर्टर की भूमिका से बाहर निकलकर लिखने की सोची और बना डाला एक और हिन्दी ब्लॉग । वैसे पढ़ना और लिखना शौक तो है लेकिन कुछ हिन्दी ब्लाग पर पढ़े कमेंट के बाद तो काफी दिन ब्लाग बनाने का मन ही नहीं हुआ। आखिर मैं करती भी क्या ? इस भूमिका से उकता रही थी। कई बार आंखों देखी लिखने के पहले ही कलम सोच के दायरे में आ जाती है अब उसे तोड़ लिखने का मन बना लिया है

2 comments:

  1. हिन्दी चिट्ठजगत में स्वागत है।

    दुनिया में हर तरह के लोग हैं सब तरह की टिप्पणियां होती हैं। इनकी क्या चिन्ता करना।

    कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।

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  2. एक ताजा- द्वन्द्वात्मक ब्लॉग.
    लिखा जाए तो कलम भी अपनी भूमिका निबाह सकती है- न लिखें तो स्याही को दोषी ठहराना आसान है.

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