Friday, October 2, 2009

हां क्यों न जरूरी कर दें गर्भ परीक्षण

दो महीने पहले बंद हुई बहस को एक बार फिर छेड़ने का मन हुआ। रिपोर्टिंग के बाद भी कई अनछुए पहलू हैं जिनकी चर्चा तो की ही जा सकती है। पूरे मसले के बाद अब मुझे ऐसा लग रहा है कि सरकारी योजना हो या न हो शादी के पहले कौमार्य परीक्षण या गर्भ परीक्षण जरूरी ही कर देना चाहिए। हां मेरे ऐसा कहने और लिखने से महिला संगठन और महिलाओं को बहुत बुरा लगेगा। लेकिन किसी व्यंग के चलते मैं ऐसी बात मजाक में नहीं कर रही हूं मेरा मतलब इस पूरे मसले को गंभीरता से लेना का है, अलबत्ता शादी रस्म की अदायगी में ही परीक्षण को शामिल किए जाने का है। सच मानिए यह रूढ़ीवादी सोच नहीं या पुरूषों की तरफदारी वाली बात भी नहीं है। शहडोल से भोपाल और दिल्ली की रिपोर्ट के अनुभव से कह रही हूं। शहडोल में हुआ कुछ गलत या सही के दायरे से बहुत दूर था। महिलाओं को एक लाइन में खड़े कर शादी के ठीक पहले यह जांचना की वे किसी शारीरिक संबंध से गुजर कर गर्भवति तो नहीं हो गई हैं। इसे अब मैं गलत नहीं मानती क्योंकि पूरे देश में मचे हंगामे के बाद कुछ भारतीय महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए चुनी गई विशिष्ट महिलाओं ने जांच की है। जिसमें पाया गया कि महिलाओं के साथ कुछ गलत नहीं हुआ था। हांलाकि जांच के कई पहलू दिल्ली नहीं पहुंचे । शहडोल में यह बात लगभग सभी की जानकारी में रही। क्या और कैसे हो गया अचानक सभी कुछ ठीक। हां तब तक मीडिया के लिए मामला पुराना हो गया था इसलिए अब नहीं लिख सकते, या कितना लिखें, अरे जांच तो आ ही गई ना जैसे कई वाक्य मैनें खुद कहे और सुने हैं। अब महिलाओं के गर्भपरीक्षण ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा इसकी बात करते हैं। क्या किसी मर्द के लिए शादी के ठीक पहले यह प्रमाणीकृत कर लेना गौरव कि बात नहीं होगी कि उसकी पत्नी का कौमार्य बरकरार है। ठीक ऐसे ही बेटी और बहन की बात करें तो भी कोई परेशानी नहीं है। कम से कम पिता और भाई भी अपने रक्षा कर्त्वय बोध से भरे रहेंगे। परीक्षण की अनिवार्यता होने पर किसी और की बेटी, बहन या होने वाली पत्नी के बारे में बात करने से पहले यह अहसास हर मर्द को रहेगा कि खुद के घर की लड़की का परीक्षण कराने पर न जाने क्या परिणाम निकले। इस स्टोरी को करते वक्त इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथी ने कहा कि योजना का लाभ देने के लिए किसी महिला को जांच कर ली तो क्या बुरा हुआ प्रशासन के पास कोई रास्ता ही नहीं है। मप्र शासन के एक मंत्री का बयान भी कुछ इसी प्रकार था कि कौमार्य परीक्षण कर भी लिया तो क्या हुआ। इनके बयानों से यह तो समझ आ ही रहा है कि वे इतनी ही सादगी से अपने घरों में भी इस तरह के परीक्षण के लिए तैयार हैं।

4 comments:

  1. Waiting for the next part. Keep it up yaar. Very well done :)

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  2. Not something to comment for a man
    I feel this is an individual choice
    Because people are free in democratic country
    and they should be educated to take right decision for them self.
    For making it mandatory i say no

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  3. Dear Bhumi,
    This is a nice blog. congrate.
    Swami Ujjwal

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  4. शादी से पहले गर्भ परिक्षण अनिवार्य होना चाहिए या नहीं ये तो सामाजिक चिंतन का विषय है, फिलहाल किसी पर कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता, ये आपसी समझ बुझ की बात है|
    परन्तु गर्भ परिक्षण से भी ज्यादा जरुरी होता है HIV परिक्षण और थालेसिमिया का परिक्षण, ये दो परिक्षण तो अवश्य ही करना चाहिए| ये हमारे आने वाली पीढी के स्वाश्थ्य के लिए बहुत ही जरुरी है, ये दोनों ही रोग लाइलाज होते हैं| और ये माता-पिता से ही बच्चों में फैलाती है| इन दोनों परीक्षणों से सामाजिक हिन् भावना का भाव भी नहीं ही होना चाहिए..... लोगों को शिक्षित करना बेहद ही आवश्यक है...
    विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत देश में हर वर्ष सात से दस हजार थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का जन्म होता है जो की बेहद चिंता की बात है, इसे बड़ी ही आसानी से रोका जा सकता है यदि जागरूकता बढ़े ....
    - दिनेश सरोज

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