Tuesday, October 4, 2011

मामा आपकी ‘लाड़ली’ होने की सजा मिल रही है मुझे ...




मैं जयश्री गुप्ता हूं। ढ़ाई साल पहले इस दुनिया की रोशनी से रूबरू हुई। तब पहली बार मुझे मम्मी और पापा के स्पर्श का अहसास साथ में हुआ। शायद आखिरी बार भी। उसके बाद पापा ने मुझे कभी छुआ ही नहीं। मेरे जन्म ने ही मेरे मम्मी-पापा के बंधन को कमजोर कर दिया। अपने सिर इस गुनाह का साया लिए अब मैं सिर्फ मम्मी के साथ ही रहती हूं। मेरे जन्म ने मेरी मम्मी का हर सपना चूर-चूर कर दिया। मुझे बचाने के लिए अब मम्मी दुनिया से अकेले संघर्ष कर रही है। पिछले एक साल से मैं अपनी मम्मी के साथ ‘समीरा’ आश्रम में रह रही हूं। वहां ऐसी कई दूसरी आंटियां भी हैं, जिन्हें उनके अपने घर से इसलिए बेदखल कर दिया गया क्योंकि वे इस दुनिया में लाड़ली की मां बनी।
मम्मी की गलती है कि उन्होंने मुझे जन्म दिया, यह कहते हुए मेरे पापा और दादी उन्हें अक्सर जख्मी कर देते थे। हमारे परिवार की पंरपरा ही ऐसी रही चार साल पहले मेरी ताईजी को भी इसलिए ही घर से निकाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने भी बिटिया को जन्म दिया था। मम्मी मुझे दूध पिलाते हुए अपने शरीर पर लगे जख्मों पोंछा करती थी। एक दिन पापा ने मम्मी और मुझे जबलपुर में नानी के घर छोड़ दिया, कुछ दिन बार घर पर आए एक कागज के बाद मां और नानी जोर-जोर से रोने लगी। पता चला वो कोर्ट का नोटिस है जिसमें पापा ने मां को पागल बताते हुए उनसे तलाक मांगा है। मां ने कई बार पापा और दादी से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मां मुझे लेकर भोपाल आई। यहां दिनभर महिला थाने, जनसुनवाई और बड़े अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाए कि कैसे भी पापा मुझे और मेरी मम्मी को अपना लें। कोई फायदा नहीं हुआ। हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। मैं समाज की कड़वी हकीकत से रूबरू हो गई कि, मेरी ही गलती है कि ‘मैं लड़की हूं’। सोचती हूं कि मेरी मम्मी ने जन्म से पहले यह जान लिया होता कि, उनकी कोख में लाड़ली तो है लेकिन उसे पापा और दादी का प्यार कभी मिलेगा ही नहीं तो ....क्या मैं दुनिया में आ पाती...? लेकिन जब मेरी मम्मी इन हजारों मुश्कििलों बावजूद मुझे गले लगाकर चूमती है तो मुझे दुनिया में आने की खुशी होती है, क्योंकि मेरे जैसी 16 हजार लड़कियां रोज जन्म से पहले मां की कोख में ही मार दी जाती हैं।
मैंने सुना है कि मेरे एक मामा (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान) को मेरे जैसी किसी भी लाड़ली के जन्म से बेहद खुशी होती है, आज से वे हमारे नाम पर ‘बालिका दिवस’ मना रहे हैं। जन्म के बाद पहली बार मुझे गर्व हुआ कि ‘मैं भी लाड़ली हूं’... कब तक और किस मायने में यदि मेरी मम्मी को न्याय ही ना मिले, इसलिए कई मांए तो हमारा जन्म होने से पहले ही हमें मार देती हैं। मैं मामा से यह गुजारिश करना चाहती हूं कि मुझे और मेरी मां जैसी लाड़ली की बेदखल मांओं को न्याय मिले। उन्हें वो आसरा मिले जहां मेरे जैसी अन्य लाड़लियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

4 comments:

  1. बहुत ही अच्छा आलेख

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  2. मन को झकझोर देने वाली इस तरह की बातें कई बार खुद को शर्मसार कर देती हैं कि हम ऐसे समाज का हिस्सा हैं, जिसमें इन नन्हीं परियों को बोझ समझा जाता है। हम यह बात कब समझेंगे कि ये बेटियां नहीं होंगी, तो भाइयों को उनकी बहनें कैसे मिलेंगी, जिनके साथ खेलकर एक नन्हा बच्चा बड़ा होता है। कई बार यही बहनें मां की तरह अपने छोटे भाइयों की परवरिश करती हैं। पत्नियां पति से लेकर उनके पूरे परिवार का खयाल रखती हैं। अपने मायके को जोड़े रहती हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों को जोड़े रहती हैं। ये नहीं होंगी, तो बेटों को कौन जन्म देगा? फिर यह दुनिया कैसे चलेगी? अब भी वक्त है... समाज के ऐसे लोगों को जाग जाना चाहिए, जो इन नन्हीं परियों के होने से दुनिया की खूबसूरती को महसूस नहीं कर पा रहे हैं। इनके नहीं होने पर यह दुनिया कितनी वीरान और डरावनी नजर आने लगेगी? इसकी कल्पना से ही मन सिहर उठता है। जागो.... और जितना जल्दी हो सके औरों को जगाओ... दोस्तों... लड़कियों से मानव का अस्तित्व जिंदा रहेगा।
    अमर सिन्हा, भोपाल

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  3. kamaal ka article hai... bhoomika u have always touched such topics very closely...
    keep up the good work pal!!

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  4. awesome........... i m fan of ur thoughts... vasse mamu ne pda ki nahi abhi tab.. :)

    but on serious note... govt. shud do something concrete......... for girl child before its too late

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