Thursday, December 9, 2010

" मैं डायन नहीं हूं... मरे को नहीं जिला सकती "

एक हल्का जख्म हमें कई दिनों तक बैचेन कर देता है, फिर जरा उस महिला की सोचिए जिसके माथे पर बड़ा चीरा लगाकर उसमें चावल का चूरा और कुमकुम एक महीने तक भरा गया हो। सेंधवा मझोली ब्लॉक की रामकली को दो साल पहले टुहनी (डायन) करार देकर जबरन सल्फास घोलकर पिलाने की कोशिश भी की गई। कारण सिर्फ इतना था कि देवर के 8 साल के बेटे की मौत होने पर उसे रामकली को शव के सामने बिठाकर बच्चे को जीवित करने के लिए कहा गया। उसने कई मिन्नतें की कि मैं डायन नहीं हूं मरे को नहीं जिला सकती पर किसी ने उसकी नहीं सुनी और उसे डायन होने की प्रताड़ना झेलनी पड़ी। आज भी उनकी जमीन पर देवर बच्चू सिंह और अजय सिंह ने कब्जा कर लिया है। अपनी अजिविका के लिए भटक रही रामकली को आज भी न्याय नहीं मिला क्योंकि पुलि ने एफआईआर दर्ज करने के बाद भी पूरे मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया।


मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही आदिवासी सम्मान यात्रा निकालें, गौरव दिवस मानाएं या महिलाओं के उत्थान की घोषणाएं करें, यहां न सिर्फ महिलाओं पर प्रताड़ना जारी है बल्कि न्याय के लिए दर दर भटकती महिलाओं में सिर्फ अनपढ़ या आदिवासी वर्ग की नहीं पढ़ी लिखी संपन्न घरों की महिलाएं भी शामिल हैं। जागरूकता के बाद भी नियमों की कमजोर कड़ी के कारण महिलाओं को न्याय मिलना आज भी दूर की कौड़ी है।
राजधानी के गांधी भवन में आयोजित जनसुनवाई में दिल को दहला देने वाली प्रताड़ना झेल चुकी महिलाओं ने जब अपने अनुभव बताकर घावों को हरा किया तो बैठे लोग आंसू नहीं रोक पाए। सम्मान के साथ जीवन का अधिकार मांग रही आधी आबादी के लिए जीवन के वो पल ही बेहद कठीन हो रहे हैं जब उन्हें अपनों से ही प्रताड़ाना मिल रही हो। ऐसे मामलों में न तो महिलाओं को न्याय मिला ना ही पुलिस प्रशासन से कोई मदद। आशना महिला अधिकार संर्दभ केंद्र, एक्शन एड और जनपहल द्वारा कराई गई जनसुनवाई में महिलाओं के अधिकारों पर खासी चर्चा हुई।

दबंगो ने करार दिया डायन
सिधी जिले कुसमी ब्लॉक की लीलावति यादव अपने पूर्व सरपंच से इसलिए प्रताड़ित की गई क्योंकि उसने बंधुआ मजदूरी का विरोध किया। इस विरोध की सजा में सरपंच हुबलाल सिंह ने उसे बलात्कार करने की कोशिश की और बाद में पंचायत के समाने उसे डायन करार दिया। गांव वालों ने भी लीलावति को उसके तीन साल के बच्चे सहित जिंदा जमीन में गाड़ दिया। जद्दोजहद के साथ लीलावति ने अपनी जान तो बचा ली लेकिन अभी भी उसके परिजन जमीन हड़पने के लिए उसे अभी भी डायन कहकर तंग कर रहे हैं। इसमें पुलिस ने लीलावति की कोई मदद नहीं की।
पढ़े लिखे पति और देवर भी मारते हैं
दमोह में एक निजी स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत पुष्पलता बाजपेयी की कहानी दर्दनाक है और वे किसी से इसे बताते ही रो पड़ती हैं। उनके अनुसार आठ साल के बेटे के सामने न सिर्फ उनके पति और देवर उन्हें पीटते हैं बल्कि घर के एक कमरे में भी रहने की इजाजत नहीं देते। घरेलू हिंसा का केस दायर कर चुकी पुष्पलता ने बताया कि देवर अजय बाजपेयी वकील हैं और कानूनी बारीकियों का फायदा उठाकर उनका जीना दुभर कर दिया है। पुष्पलता को पुलिस और महिला डेस्क से भी कोई मदद नहीं मिली।
आश्रय गृह बना घर
32 साल की गीता यादव ने शादी के वक्त इसकी कल्पना भी नहीं की होगी कि जिस घर को संवारने के सपने लिए वो माता पिता का घर छोड़ रही है एक दिन उसे यह घर छोड़ आश्रय गृह में रहना होगा। पति से द्वारा मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की हद होने पर पुलिस और अदालत की शरण लेने के बाद भी गीता को न्याय नहीं मिला और वो आश्रय गृह में रहने को मजबूर है।
पेट पर चढ़कर पीटा पति ने
पन्ना जिले की अनामिका शर्मा शादी के बाद से ही घरेलू हिंसा शिकार हुई। विदाई के बाद ससुराल आते ही उसके पति ने उसके पेट पर चढ़कर उसे इस कदर पीटा कि उसकी यूरीन की थैली ही फट गई। छुपकर किसी तरह अपने पिता को फोन किया। भाई ने अमामिका को वहां से लिया और अस्पताल में भर्ती कराया। शारीरिक रूप से बेहद कमजोर अनामिका अपने मायके में रह रही है और यहां उसका इलाज चल रहा है। महिला आयोग से भी अनामिका को कोई न्याय नहीं मिला।

3 comments:

  1. Can believe this still happens in India. You have done great service to the country and journalism by informing us about it. keep it..and you write very well. you move the reader.

    jupinderjit singh

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  2. .. behad dukhad sthiti hai vartmaan men mahilaaon ki ... iss dishaa men abhiyaan chalaakar hi sudhaar laa paanaa sambhav jaan padtaa hai ... prasanshaneey post !!!

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  3. Amazing blog and stories.keep up the good work....!

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