
यह पंक्तियां उनके लिए, जिनसे मिलने के बाद मैंने जाना प्यार में बंधना और मुक्त हो जाना क्या है?
बंधन और मुक्ति भले ही विपरित हों लेकिन प्यार की उंचाइयां इसे एक कर देती है।
प्रेमपाश
मैं अक्सर रहती थी उनके पास
देर तक उनकी खुशबू में महकती
अपने अन्दर विचरती हुयी
क्या कहा था उन्होंने
कुछ पूछ रहे थे वे
सुनाई दे रही है कई अनकही बातें
उनके जाने के बाद भी
प्यार ऐसा होता है क्या
जब भी मैं बांधती अपनी भावनाओं का बांध
वे बाढ़ की तरह आते और कई हजार मीलों तक
बिखेर देते थे मुझे
अब मैं,
खुद में नहीं विचरती
हर खयाल उनका हो गया
क्यों हुआ ऐसा
कई दिनों बाद
फिर एक बार
वे पल, वे बातें और ढेरों सवाल पीछे छूट गए
एक बार फिर
जीवन की नई सुबह
उनके सामने होने का सपना
सब हो गए एक साथ
वो मुस्कराते हुए आए
फिर मन के ठहरे पानी में
मार गए एक कंकर
और शुरू हो गई नई उथल-पुथल ..
... sundar rachanaa !!!
ReplyDeleteउम्दा कविता है। गहरी संवेदना के साथ। शानदार।
ReplyDeleteमानव मन की कोमल भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDelete-अजीत सिंह
vry vry vryyyyyyyyyyyyyyyy gud creation, i jst love it mam
ReplyDeletevry vry vryyyyyyyyyy gud creation, i jst love it mam thnx
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