
खामोश रात ...
आज की रात उन बहुत सी रातों से अलग
ज्यादा खामोशी के साथ मेरे मन पर
उनके होने की दस्तक लगातार बार-बार
चांद भी नहीं था यहां रोशनी के लिए
आंखों की खोज जारी थी फिर भी चांदनी के लिए
मैं मन ही मन उनसे बातें करती
और जवाब देती उन सवालों के
जो कभी पूछे ही नहीं गए
अब गुत्थीयां सुलझ गई थीं
जो उलझनें बनी उनके सामने
नजर आती थी मेरे चेहरे पर
एक नहीं कई बार ऐसा ही हुआ
और आंखों ही आंखों में रात गुजर गई...
Wow Didi , Tusi great ho!! kya likhte ho i m proud of u , U r my DEE :)))
ReplyDeletewonderful...ankhon ki khoj jaari thi chandni ke liye...wonderful..i think this can be sung also....keep writing bhoomika....keep writing
ReplyDeletejupinder
its really heart mesmerizing.....
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