(जांच)
प्रदेश के मुख्यमंत्री जिस कन्यादान में लड़कियों के भाई और मामा की भूमिका निभा रहे हैं उसमें ही दान देने के पहले बहन और भानजियों को नंगा करने पर वबाल सा मच गया। कलेक्टर शहडोल भी जोश में संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की बात भी कह गए। मीडिया में सारी बातों का खुलासा होते ही राजनीति दलों में खींचतान मची। एक हफ्ते बाद राज्य और राष्ट्रीय महिला आयोग की नींद से जागा। महिलाओं के साथ हुए अन्याय के लिए लड़ने को संगठनों ने भी कमर कसी। महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ करने का मुद्दा दोनों सदनों में हंगामा मचाने के लिए काफी हो गया।
दिल्ली से राष्ट्रीय महिला आयोग की तीन सदस्य (आदिवासी इलाके से सिर्फ अंग्रेजी बोलने और समझने वाली दो महिलाएं उनके साथ भोपाल की एक स्थानीय नेता) शहडोल पहुंची। दिनभर सरकारी आवभगत स्वीकारने के बाद शाम को कलेक्टर और एसपी से मामले की पूछताछ की गई। अगले दिन से गांव का दौरा। फिर एक बार महिलाओं ने उस शर्मनाक स्थिति का वर्णन किया। सारी बातें सुन इसी जांच दल ने मीडिया में खुलासा किया कि महिलाओं के बड़ा साथ अन्याय हुआ। दिल्ली से भेजी जाने वाली रिपोर्ट में मप्र सरकार से जवाब मांगने के साथ दोषियों पर कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
आठ दिनों बाद दिल्ली में एक केंद्रीय मंत्री (महिला)ने रिपोर्ट का खुलासा करते हुए बताया कि शहडोल में कौमार्य परीक्षण जैसा कुछ नहीं हुआ है। महिलाओं का जो परीक्षण हुआ उसमें कुछ भी गलत नहीं है।
सरकार अब कटघरे से बाहर थी और इस दोषमुक्त होने के लिए चुकाई गई कीमत थी 18 हजार रुपए के मुर्गे जो राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम की खातीरदारी में शहीद हुए। लगभग एक महीने बाद किसी अन्य जांच की बात करते हुए पुलिस प्रशासन के आला अफसर ने अनऔपचारिक बातचीत में जांच की सच्चाई का खुलासा करते हुए कहा कि औरतों से निपटना कौन सी बड़ी बात है, 17 हजार रुपए के मुर्गे खाएंगी और हमारी चाही रिपोर्ट बनाएंगी।
यह सुनने के बाद तो मेरा महिलाओं और उनकी न्याय क्षमता से ही विश्वास उठ गया। इसके बाद मेरा यह सोच की इतनी जांच करना और महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अन्याय पर हंगामा मचाने से यह भला नहीं है कि इसे स्वीकार कर लिया जाए क्योंकि महिलाएं भी ऐसा ही चाहती हैं।